जो बातें/चीज़ें आपको परेशान कर रही होती हैं उनके बारे में उदास और दुखी होना एक साधारण सी बात है। इस तरह की भावनाएं अधिकतर हफ्ते भर में ही ख़त्म हो जाती हैं। ऐसी उदासीन भावनाओं का सामना लगभग हम सभी आसानी से कर सकते हैं। लेकिन निराशा के मामले में ऐसा नहीं है। यह सिर्फ एक ख़राब दिन की तरह नहीं है। यह निरंतर उदासी या दयनीय महसूस करने वाली एक स्थिति है जो कुछ दिनों के बाद भी नहीं बदलती है, और वास्तव में, यह हफ़्तों या महीनों तक बनी रह सकती है। निराशा आपके सामान्य जीवन में बाधा डालती है। निराशा के कारण आप काफी दयनीय महसूस करते हैं और साथ ही आपको चीज़ों का आनंद लेने या ख़ुशी महसूस करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
निराशा बीमारी का एक रूप है जो शरीर के बदले/बजाय दिमाग में पनपती है। यह व्यक्ति की भावनाओं और मूड पर प्रभाव डालती है। जो लोग इस मानसिक बीमारी का शिकार होते हैं वह अक्सर चीज़ों में रूचि खोने और कम ऊर्जा के साथ, हर समय उदास रहने और मूड में कमी की शिकायत करते हैं। वह ऐसा भी कहते हैं कि उन्होंने कभी ख़ुशी को महसूस ही नहीं किया।
निराशा में निम्नलिखित लक्षण बेहद सामान्य हैं:
- उदासी या मूड में कमी का अनुभव
- आशाहीन भावनाओं का अनुभव करना और महसूस करना कि अब कुछ भी ठीक नहीं हो सकता
- खालीपन का एहसास करना
- कुछ मामलों में किसी भी तरह की भावनाओं का अनुभव न होना
- हर बात में खुद को दोषी मानना; कसूरवार समझना
- आत्मसम्मान में कमी
- पहले अच्छी लगने वाली चीज़ों को नापसंद करना
- बहुत अधिक खाना या पर्याप्त न खाना
- नींद आने या अधिक सोने में मुश्किलें आना
- थकावट और बुझा-बुझा सा महसूस करना
- बेचैनी महसूस करना लेकिन फिर भी चैन से न बैठ पाना
ऐसे दर्दों व तकलीफों का अनुभव करना जिनका किसी स्वास्थ्य समस्या से सम्बन्ध न हो
कई बार, निराशा के एहसास का कारण एक साधारण सी बात होती है जिसे आसानी से महसूस किया जा सकता है। मायूसी, जीवन में असफलता, चिढ़चिड़ापन और किसी बहुमूल्य चीज़ को खोने जैसी बातों के कारण किसी भी व्यक्ति को निराशा का एहसास हो सकता है। निराशा के विभिन्न कारण हो सकते हैं जैसे कि:
- जीवन से जुड़ी घटनाएँ / नकारात्मक हालात
- शारीरिक बीमारियाँ; कैंसर और अन्य बीमारियाँ जो किसी व्यक्ति के अस्तित्व को भयभीत कर दें, वह भी निराशा का कारण बन सकती हैं; लम्बे समय से चली आ रही दर्दनाक बीमारियाँ भी निराश होने का एक दूसरा कारण हैं
- असामान्य रूप से निष्क्रिय थाइरॉइड निराशा का कारण हो सकता है
- कुछ लोगों में निराशा होने की अधिक सम्भावना होती है क्योंकि वह इस मानसिक स्वास्थ्य समस्या को लेकर ज़्यादा असुरक्षित महसूस करते हैं
- शराब: लगातार बहुत ज़्यादा शराब पीने से भी निराशा का अनुभव हो सकता है
- लिंग: महिलाओं में निराशा के अनुभव की अधिक सम्भावना होती है
वंशाणु: निराशा एक परिवार में शुरू हो सकती है और अगर माता-पिता में से कोई एक इससे पीड़ित था, तो ऐसे में उनके बच्चे को भी इससे पीड़ित होने की सम्भावना हो सकती है
निराशा व्यक्ति को किसी भी समय प्रभावित कर सकती है, लेकिन कुछ ऐसी अवधियाँ होती हैं जब एक व्यक्ति को निराशा का अनुभव होने की अधिक संभावनाएं होती हैं। वह लोग जो ज़्यादा तनावग्रस्त या बहुत परेशान होते हैं उनमें निराश होने की अधिक सम्भावना होती है। किसी अपने या नौकरी को खोने पर भी एक व्यक्ति निराशा का अनुभव कर सकता है। निराशा किसी मौजूदा स्वास्थ्य संबंधित समस्या के चलते भी हो सकती है। निराशा के दो मुख्य प्रकार हैं जैसे कि:
- प्रसवोत्तर निराशा जो महिलाओं के अन्दर बच्चों को जन्म देने के ठीक बाद में होती है
- मौसमी भावात्मक विकार जो साल के एक विशेष समय पर होता है, खासकर सर्दियों के मौसम में
इस बात को दिमाग में बैठाना अच्छा होगा कि निराशा आपकी गलती नहीं है और आपको इसके लिए खुद को दोषी नहीं मानना चाहिए।
अगर आप निराशा का अनुभव कर रहे हैं, तो सबसे पहले आपको ये करना है कि आप अपने डॉक्टर / चिकित्सक से बात करें जो आपकी निराशा के मूल कारण को पता लगाने की कोशिश करेंगे। एक डॉक्टर/चिकित्सक या मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सक/प्रैक्टिशनर आपकी समस्या का उपचार करने में पूरी तरह से माहिर होते हैं। निराशा के उपचार के लिए विभिन्न विकल्प उपलब्ध हैं और प्रत्येक प्लान / परियोजना इस बात पर निर्भर है कि आप किस तरह की निराशा से प्रभावित हैं। आपके डॉक्टर/चिकित्सक ज़रूरत के अनुसार आपकी इच्छाओं और लक्ष्यों के आधार पर भी आपका इलाज/उपचार कर सकते हैं।
विशेषज्ञ की सहायता लेने में झिझक न करें, खासतौर पर जब आप निम्नलिखित कारणों से पीड़ित हों:
- सामाजिक गतिविधियों से अलग होना
- बार-बार रोना
- आत्महत्या के बारे में सोचना
- रूचि में कमी
- कुछ करने का मन न करना
- खुद को दोषी मानना
- भावनात्मक प्रतिक्रियाओं में कमी
अगर आप ऊपर बताये गए कुछ लक्षणों को महसूस करते हैं, और साथ ही निराशा, मानसिक व शारीरिक ऊर्जा में कमी के कारण अपने दैनिक जीवन में बाधा का अनुभव करते हैं, तो आपको एक मनोरोग चिकित्सक से परामर्श लेने की ज़रूरत है। अगर कोई व्यक्ति अपनी ज़िम्मेदारियों से भागने की कोशिश करता है और अपनी खुद की सामान्य ज़रूरतों की देखभाल में असमर्थ होता है व आत्महत्या के विचारों को व्यक्त करता है, तो उसे तुरंत मदद की ज़रूरत है।
बातचीत द्वारा उपचार
यह निराशा का बहुत ही प्रभावशाली उपचार है। इसमें व्यक्ति को अपनी समस्याओं के बारे में एक कुशल परामर्शदाता से बात करना शामिल है जिसके आधार पर वह व्यक्ति को ऐसी कुशलताएँ सिखाने की कोशिश करते हैं जो व्यक्ति को अपनी समस्याओं से प्रभावशाली रूप से सामना करने में मदद करती हैं। अगर आप किसी परामर्शदाता को नहीं जानते हैं, तो अपने डॉक्टर या मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सक से बात करें, ताकि वह आपको सुझाव दे सकें।
संज्ञात्मक व्यवहार उपचार (सीबीटी)
इस तरह के उपचार का उद्देश्य सबसे पहले व्यक्ति को लक्षणों की पहचान के बारे में सिखा कर उनकी जांच और उन्हें कम करना और फिर संज्ञात्मक पीड़ा को ठीक करना होता है। ये उपचार व्यक्ति के हालात और बर्ताव के विषय में नयी व वैकल्पिक सोच के बारे में भी सिखाता है जिससे उनके मनोवैज्ञानिक संबंधी दुखों से निपटने का एक नया रास्ता बनता है।
संक्षिप्त शक्ति-युक्त मनोचिकित्सा / शॉर्ट डायनामिक साइकोथेरेपी
इस तरह के उपचार का उद्देश्य उन मौजूदा संघर्षों को संबोधित करना होता है, जिन्हें कुछ खास नहीं माना जाता बल्कि कठिनाइयों की उन अभिव्यक्तियों के रूप देखा जाता है जिनका अनुभव किसी व्यक्ति के बचपन के शुरूआती संबंधों में किसी विशेष सम्बन्ध को लेकर होता है जिसके कारण संबंधों में फर्क आ जाता है।
निराशा विरोधी दवाओं का उपयोग / एंटी-डिप्रेशन मेडिकेशन
निराशा दिमाग के न्यूरोकैमिकल्स में बदलाव और उसमें पहुँचने के कारण भी हो सकती है। इन बदलावों में सुधार लाने के लिए, आपके डॉक्टर या मनोरोग चिकित्सक आपको एंटी-डिप्रेसेंट्स जैसी दवाओं की सलाह देंगे। एंटी-डिप्रेसेंट दवाएं दिमाग की तंत्रिकासंचारकों / न्यूरोट्रांसमीटर्स प्रक्रिया को स्थिर और सामान्य बनाती हैं। यह तंत्रिकासंचारक / न्यूरोट्रांसमीटर्स आपके मूड/स्वभाव को नियंत्रित करते हैं, हालांकि यह अभी तक साफ नहीं हुआ है कि कैसे। बेहद सामान्य एंटी-डिप्रेसेंट्स में SSRIs या सिलेक्टिव सेरोटोनिन रयूपटेक इन्हिबिटर और SNRIs या नोरेपिनेफ्रिने रयूपटेक इन्हिबिटर शामिल हैं। साइड इफेक्ट्स / दुष्प्रभावों के कारण इनकी सलाह अक्सर दी जाती है।
विद्युत आक्षेपकारी उपचार / इलेक्ट्रो कन्वल्सिव थेरेपी (ECT)
अगर आपकी निराशा का उपचार दवाइयों, साइकोथेरेपी या दोनों ही से नहीं हो पाता, तो आपके डॉक्टर आपको इलेक्ट्रो कन्वल्सिव थेरेपी या शॉक थेरेपी की सलाह दे सकते हैं। इलेक्ट्रो कन्वल्सिव थेरेपी (ECT) प्रशिक्षित डॉक्टरों द्वारा बताये गए निर्देशों का पालन करते हुए सही तरीके से की जाने पर यह निराशा की बेहद गंभीर स्थिति में भी काफी प्रभावशाली सिद्ध हुयी है।
समर्थन समूहों से जुड़ें
निराशा का अनुभव करने वाले अन्य लोगों के साथ जुड़ना भी सहायक सिद्ध होता है। आपके चिकित्सक या परामर्शदाता एक ऐसे बेहतर समर्थन समूह को ढूँढने में आपकी मदद कर सकते हैं जिसके साथ आप अपनी समस्याओं के बारे में बात कर सकते हैं। आप समूह के अन्य लोगों से यह भी पूछ सकते हैं कि वह अपनी निराशा की समस्या का सामना कैसे करते हैं। समूह का भावनात्मक समर्थन और प्रेरणा आपको निराशा से जल्द ही बाहर निकालने में मदद करेंगे।
अन्य/वैकल्पिक उपचार
कुछ खास जड़ी बूटियाँ और विटामिन्स / पोषक तत्व भी निराशा के उपचार में मददगार माने जाते हैं। आपके डॉक्टर या औषधीय स्वास्थ्य चिकित्सक ये जानने में आपकी मदद कर सकते हैं कि कौनसा अन्य/वैकल्पिक उपचार सही है और कौनसा नहीं।
खुद पर ध्यान दें
खुद की देखभाल करना भी बेहद फायेदेमंद होता है। कुछ आसान सी चीज़ें जैसे कि रात में पर्याप्त रूप से सोना, प्रतिदिन विश्राम व व्यायाम करना और साथ ही स्वास्थ्यवर्धक भोजन / खाना, यह सभी आपको निराशा की समस्या का सामना करने में मदद करते हैं। शराब और नशे से दूर रहना भी सलाह में शामिल है। छुट्टियों पर जाना, परिवार व दोस्तों के साथ खुलकर बात करना, मनपसंद चीज़ों में रूचि लेना, और खाली समय में अन्य काम करना भी नकारात्मक परिस्थितियों से तुरंत आराम दिला सकते हैं।
निराशा से बाहर आने का मतलब है कि एक निराश व्यक्ति अपने सामान्य व बेहतर मानसिक स्वास्थ्य को फिर से हासिल कर रहा है। निराशा से आप धीरे-धीरे और कदम दर कदम बाहर आते हैं। आमतौर पर इसमें व्यक्ति को फिर से एक सामान्य जीवन जीने के लिए अपनी क्षमता को वापस हासिल करने में कुछ समय लगता है। निराशा की समस्या आपकी किसी निजी कमज़ोरी या गलती के कारण नहीं होती। निराशा मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या है, इसलिए किसी भी व्यक्ति को सहायता लेने से घबराना नहीं चाहिए। ख़ुशी की बात यह है कि निराशा से पूरी तरह बाहर आना मुमकिन है।
इसके बारे में एक बेहतर व्यक्ति जैसे कि डॉक्टर या मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सक से बात करना उचित होगा। इसके अलावा, आप अपनी निराशा का कारण जानने और अपने आत्महत्या के विचारों व निराशा का सामना करने के लिए किसी संकटकालीन हेल्पलाइन से भी संपर्क कर सकते हैं। निराशा के दौरान आत्महत्या एक बहुत ही वास्तविक सम्भावना है। इसलिए आत्महत्या जैसे विचारों या इरादों के लक्षणों से सतर्क रहें जो बार-बार आपके दिमाग में आते हैं। ऐसे में आपको तुरंत मदद की ज़रूरत है।
अगर आप गंभीर रूप से निराशा का अनुभव कर रहे हैं तो आप अवश्य ही खुद की जान लेने के संकेत दे सकते हैं या फिर वसीयत बनाने, अपने सामान को बांटने, नींद की गोलियां जमा करने आदि के रूप में इसकी तयारी करते हुए नज़र आ सकते हैं। खुद को दोषी मानना और आरोप लगाना, खुद को निकम्मा और खोखला महसूस करना आत्महत्या की इन कोशिशों में सामान्य हैं। जब कोई शराबी या नशे की लत वाले इंसान को टूटे हुए संबंधों का सामना करना पड़ता है, तब विशेष रूप से आत्महत्या एक सामान्य बात है। आत्महत्या की सम्भावना उन लोगों में ज़्यादा होती है जो पहले इसकी कोशिश कर चुके हैं, खासकर अगर डिस्कवरी/रिकवरी से बचने की कोशिश में सावधानियां बरती गयी थीं और आक्रामक तरीकों का इस्तेमाल किया गया था जैसे कि आग। आत्महत्या उस समय एक सामान्य बात हो जाती है जब किसी अपने करीबी की मृत्यु हो जाए, खासकर जब एक पति अपनी पत्नी को या पत्नी अपने पति को खो दे, या फिर एक माँ अपने एकलौते बच्चे को खो दे। बढ़ती उम्र, बेरोज़गारी, शारीरिक बीमारियों के दौरान आत्महत्या की सम्भावना ज़्यादा होती है। जब किसी पर निर्भर एक इंसान अपना समर्थन खो बैठता है, तब भी आत्महत्या की सम्भावना ज़्यादा होती है। अपने जीवन को ख़त्म करने का आपके पास भले ही कोई भी कारण क्यों न हो, लेकिन आत्महत्या जैसा गलत कदम कभी न उठायें ! अगर आप चाहते हैं तो आपको मदद ज़रूर मिलेगी। समर्थन और समझदारी के दम पर हमेशा समाधान निकाले जा सकते हैं।